Monday, 27 May 2019

सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल देते हैं


सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल देते हैं
अभी भी कुछ लोग बाक़ी हैं .... जो मीठा बोल  लेते हैं
तमन्ना और हसरत में ज़रा सा फ़र्क होता है....
इसे कश्ती नहीं मिलती... उसे साहिल नहीं मिलता!!!
महफूज़ रख, बेदाग रख, मैली ना कर ज़िंदगी.
मिलती नहीं इंसान को किरदार की चादर नई..!!
जो दिल का हाल है
वही दिल्ली का हाल है...
इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही
इन्सान का पतन उस समय शुरू हो जाता है     
जब अपनाें काे गिरानें की सलाह गैराे से लेना शुरू कर देता है..

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