Friday 17 May 2019

“अदब से आरी दरिंदा सिफात लोगों में,:


क्या बेहतरीन अश’आर-
“अदब से आरी दरिंदा सिफात लोगों में,
मैं बैठता ही नहीं वाहियात लोगों में..
तवील नहीं मेरे आशनाओं की फेहरिस्त
मेरी गिनती होती है पाँच-सात लोगों में!”
A champion is not defined by his wins, but the recoveries from the number of setbacks he had.
 "मोहब्बत" गलती मुझ अकेले की नहीं थी
हाथ उसका भी शामिल है! तबाही में मेरी
दुख देकर भी सवाल करते हो
तुम भी ग़ालिब क्या कमाल करते हो।
वफ़ा परस्त नहीं था तो और क्या था वो
हाथ ज़ख्मी कर लिए जिसने .... आइना बनाते हुए ....
Don’t worry about finishing a book. Don’t like it, pick another one. Each book is an opportunity to learn something new. Keep reading. Keep learning. Keep succeeding.
""रंग देखते है लोग मेरे चेहरे का........
चुपके से तेरा नाम पुकार के""
वक़्त दो मुझ पर कठिन गुज़रे हैं सारी उम्र में
इक तेरे आने से पहले इक तेरे जाने के बाद
हमारी बात किसी की समझ में क्यूँ आती
ख़ुद अपनी बात को कितना समझ रहे हैं हम

No comments:

Post a Comment

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...