Saturday, 13 May 2017

कहव देखने की आरजू है:

एक ख़्वाब देखने की आरज़ू रही
इसी लिए तमाम उम्र सो न पाए हम
🌷🙏🏻🌷

कभी-कभी दिल चाहता है कि अब कुछ ना चाहें....
ख़ामोशी तुम समझ नहीं रहे.... अल्फ़ाज़ अब बचे नहीं...!!!
🙏🏻🌷🙏🏻
ये जो मैं तुझमें उलझा हूं, खुद में बहुत सुलझा हूँ!
🌷🙏🏻🌷
उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में
एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया
🙏🏻🌷🙏🏻
बुरा न मान अगर यार कुछ बुरा कह दे
दिलों के खेल में ख़ुद्दारियाँ नहीं चलतीं
🌷🙏🏻🌷
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता
🙏🏻🌷🙏🏻
घाट का ख़ामोश पत्थर हूँ मैं
मैंने नदी के हज़ार नख़रे देखे है

🌷🙏🏻🌷
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है !!
🙏🏻🌷🙏🏻
इधर उधर की बातों की, काबिलियत तो देखो,

दूर तलक जाती हैं, बिना किसी वजूद के....

🌷🙏🏻🌷

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