मेरे रशके क़मर तूने पहली नज़र जब नज़र से मिलायी मज़ा आ गया,
बर्क सी गिर गयी काम ही कर गयी आग ऐसी लगायी मज़ा आ गया !!
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बैठ जाता था मैं जिस से लग कर
वही दीवार गिरा दी किस ने
अपने ही हाथ से मुझ को
ज़हर पीने की सज़ा दी किसने
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पलट चलें कि ग़लत आ गए हमीं शायद
रईस लोगों से मिलने के वक़्त होते हैं
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