Sunday, 21 May 2017

कॉकरोच:

मैं एक रेस्टोरेंट में बैठा था। वहां एक कॉकरोच कहीं से उड़ कर आया और थोड़ी दूर बैठी महिला पर बैठ गया। वह डर से चिल्लाने लगी। चेहरे पर खौफ और कांपते होठ के साथ दोनों हाथों से खुद को उस कॉकरोच से पीछा छुड़ाने के लिए उछलने लगी। उसकी प्रतिक्रिया ऐसी थी कि उसके साथ मौजूद लोग भी डर गए। उस महिला ने किसी तरह कॉकरोच को खुद से दूर किया लेकिन वो उड़ कर किसी और महिला पर बैठ गया।
अब यह ड्रामा जारी रखने की बारी दूसरी महिला की थी। उसे बचाने के लिए पास खड़ा वेटर आगे बढ़ा। दूसरी महिला ने अपने कपड़े झाड़े तो कॉकरोच उड़ कर वेटर के ऊपर बैठ गया। वेटर शांत खड़ा रहा और उसने अहसास किया कि कॉकरोच उसकी शर्ट पर था। उसने उसे अपनी उंगलियों से कॉकरोच को पकड़ा और रेस्टोरेंट से बाहर फेंक दिया।
मैं कॉफ़ी पीते हुए ये मनोरंजक दृश्य देख रहा था तभी मेरे दिमाग में कुछ सवाल आए। क्या वह कॉकरोच इस ड्रामे के लिए जिम्मेदार था ? अगर हा, तो वह वेटर परेशान क्यों नही हुआ ? उसने बिना किसी को परेशान किए परफेक्शन के साथ उस स्थिति को संभाल लिया। ये वो कॉकरोच नहीं था बल्कि उन लोगों की मुश्किलों को ना संभाल पाने की फितरत थी। इसी वजह से वह लाेग परेशान हुए।
मैंने महसूस किया, यह मेरे पिता का या बॉस का या वाइफ का चिल्लाना नहीं है जो मुझे डिस्‍टर्ब करता है, बल्कि यह मेरी अक्षमता है जो उन लोगों ने क्रिएट की है। लेकिन मैं इसे हैंडल नहीं कर पा रहा।
यह ट्रैफिक जाम नहीं है जो मुझे परेशान करता है बल्कि मेरी उस परेशानी भरी स्थिति को हैंडल ना कर पाने की अक्षमता है, जिससे मैं ट्रैफिक जाम के वजह से परेशान हो जाता हूं। प्रॉब्लम से ज्यादा, मेरी उस प्रॉब्लम के प्रति प्रतिक्रिया है जो मेरे जीवन में परेशानी पैदा करती है।
इस वाकये ने मेरे सोचने का तरीका बदल दिया, हमे अपने जीवन में कठिन समय में प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसका जवाब देना चाहिए। उस महिला ने प्रतिक्रिया व्यक्त किया बल्कि वेटर ने उस स्थिति को समझा और समाधान निकाला। प्रतिक्रिया हम बिना सोचे समझे दे देते हैं बल्कि जवाब हम सहज तरीके से सोच-समझ कर देते हैं।
लाइफ को समझने का एक बहुत ही सुन्दर तरीका है। जो लोग खुश हैं वो इसलिए खुश नही हैं कि उनके जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा है। बल्कि इसलिए खुश हैं कि उनका जीवन में सारी चीजों के प्रति दृष्टिकोण ठीक है।

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