Wednesday, 31 May 2017

जलती हुई राते:

बुझती हुई सुब्हें हों कि जलती हुई रातें,

तुझ से ये मुलाक़ात सर-ए-शाम बहुत है !
🌹🌷
और क्या चाहती है गर्दिश-ए-अय्याम कि हम

अपना घर भूल गए उन की गली भूल गए
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साफ़ दामन का दौर कब का गुज़र गया जनाब,

अब तो अपने धब्बों पे गरूर करते हैं लोग...

🌷🌹
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए

अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
🌷🌹
उम्र कहती है चलो अब संजीदा हुआ जाये,

दिल कहता है अब बची ही कितनी है, चलो कुछ नादानियां की जाएँ...

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"A lie can travel around the world while the truth is putting on his shoes."
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Bansi Lal: "A wise man should have money in his head, but not in his heart."
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