"कुछ उसको भी अज़ीज़ हैं अपने सभी उसूल,
कुछ हम भी इत्तेफाक से ज़िद के मरीज़ हैं."
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मेरे लिए किसी क़ातिल का इंतिज़ाम न कर,
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करेंगी क़त्ल ख़ुद अपनी ज़रूरतें मुझको ।
मेरी ग़ुरबत को शराफत का अभी नाम न दे,
वक़्त बदला तो तेरी राय बदल जायेगी.
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"अात्मानुशासन और आत्मसंयम के माध्यम से आप चरित्र की महानता को हासिल कर सकते हैं। "
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गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर
इक नई बात निकल आती है हर बात के साथ
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सुना है उसके बदन की तराश ऐसी है
की फूल अपनी कबायें क़तर के देखते हैं
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सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए
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*सीख नहीं पा रहा हूँ* *मीठे झूठ बोलने का हुनर,*
*कड़वे सच ने हमसे न जाने* *कितने लोग छीन लिए।*.
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बड़ी मुश्किल से होता है तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम ही है लेकिन गुज़ारा हो ही जाता है..
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अपने अंदर भी कभी झाँक के देखा होता
आइना सारे ज़माने को दिखाने वाले
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