Monday, 29 May 2017

कुछ उसको भी अज़ीज़ है:

"कुछ उसको भी अज़ीज़ हैं अपने सभी उसूल,

कुछ हम भी इत्तेफाक से ज़िद के मरीज़ हैं."
🌷🌹🌷
मेरे लिए किसी क़ातिल का इंतिज़ाम न कर,
🌹🌷🌹
करेंगी क़त्ल ख़ुद अपनी ज़रूरतें मुझको ।
मेरी ग़ुरबत को शराफत का अभी नाम न दे,

वक़्त बदला तो तेरी राय बदल जायेगी.
🌷🌹🌷
"अात्मानुशासन और आत्मसंयम के माध्यम से आप चरित्र की महानता को हासिल कर सकते हैं। "
🌹🌷🌹
गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर

इक नई बात निकल आती है हर बात के साथ
🌹🌷🌹
सुना है उसके बदन की तराश ऐसी है

की फूल अपनी कबायें क़तर के देखते हैं
🌹🌷🌹
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा

मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए
🌹🌷🌹
*सीख नहीं पा रहा हूँ* *मीठे झूठ बोलने का हुनर,*

*कड़वे सच ने हमसे न जाने* *कितने लोग छीन लिए।*.
🌷🌹🌷
बड़ी मुश्किल से होता है तेरी यादों का कारोबार,

मुनाफा कम ही है लेकिन गुज़ारा हो ही जाता है..
🌷🌹🌷
अपने अंदर भी कभी झाँक के देखा होता

आइना सारे ज़माने को दिखाने वाले
🌹🌷🌹

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