Saturday, 13 May 2017

फ़क़ीर और राजा:

एक 👳फकीर बहुत दिनों तक 💂बादशाह के साथ रहा। 💂बादशाह का बहुत प्रेम उस 👳फकीर पर हो गया।प्रेम भी इतना कि 💂बादशाह रात को भी उसे अपने कमरे में सुलाता।कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही करते।
एक दिन दोनों 🎠शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए।

भूखे-प्यासे एक 🌳पेड़ के नीचे पहुंचे। 🌳पेड़ पर एक ही 🍏फल लगा था।
💂बादशाह ने 🐎घोड़े पर चढ़कर फल को अपने हाथ से तोड़ा।
💂बादशाह ने 🍏फल के छह टुकड़े किए और अपनी आदत के मुताबिक
पहला टुकड़ा 👳फकीर को दिया।

👳फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला, 'बहुत स्वादिष्ट! ऎसा 🍏फल कभी नहीं खाया। एक टुकड़ा और दे दें। दूसरा टुकड़ा भी 👳फकीर को मिल गया।
👳फकीर ने एक टुकड़ा और 💂बादशाह से मांग लिया।
इसी तरह 👳फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खा लिए।

जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो 💂बादशाह ने कहा, 'यह सीमा से बाहर है। आखिर मैं भी तो भूखा हूं।

मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं करते।'
और 💂सम्राट ने 🍏फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया।
मुंह में रखते ही 💂राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था।
💂राजा बोला,'👳तुम पागल तो नहीं' इतना कड़वा 🍏फल कैसे खा गए?

उस 👳फकीर का उत्तर था, 'जिन ✋हाथों से बहुत मीठे 🍏फल खाने को मिले' एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं?
सब टुकड़े इसलिए लेता गया ताकि 💂आपको पता न चले।

दोस्तों जँहा 👬मित्रता हो वहाँ संदेह न हो, आओ कुछ ऐसे रिश्ते रचे...

🍀किस्मत की एक आदत है कि वो पलटती जरुर है।

और जब पलटती है, तब सब कुछ पलटकर रख देती है।🌼

इसलिये अच्छे 💐दिनों मे अहंकार न करो और 💮खराब समय में थोड़ा सब्र करो।
🌴🌳🌲🌱🌷🍀🌿🌾

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