Friday, 19 May 2017

कांच के टुकड़े:

*एक बुज़ुर्ग इंसान से मुलाक़ात हुई तो मैंने गुज़ारिश की.. कि जिंदगी की कोई नसीहत कीजिये मुझे....*

*उन्होंने अज़ीब सवाल किया कि कभी बर्तन धोये हैं?*
*मैं उनके सवाल पर हैरान हुआ और सर झुका कर कहा कि,जी धोये हैं।*
*पूछने लगे..क्या सीखा??*
*मैंने कोई जवाब नही दिया।*

*वो मुस्कुराये और कहने लगे...*
*"बर्तन को बाहर से कम और अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है..... बस यही है जिंदगी!"*

हीरो को परखना है तो अंधेरो का इंतजार करो

धुप में तो कांच के टुकड़े भी चमकने लगते है
🌷🌹🌷
हर एक साँस मुझे खींचती है उस की तरफ़

ये कौन मेरे लिए बे-क़रार रहता है
🙏🏻🌹🙏🏻
इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले

वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते
🌹🌷🌹
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी

उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी
🌷🌹🌷

No comments:

Post a Comment

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...