*एक बुज़ुर्ग इंसान से मुलाक़ात हुई तो मैंने गुज़ारिश की.. कि जिंदगी की कोई नसीहत कीजिये मुझे....*
*उन्होंने अज़ीब सवाल किया कि कभी बर्तन धोये हैं?*
*मैं उनके सवाल पर हैरान हुआ और सर झुका कर कहा कि,जी धोये हैं।*
*पूछने लगे..क्या सीखा??*
*मैंने कोई जवाब नही दिया।*
*वो मुस्कुराये और कहने लगे...*
*"बर्तन को बाहर से कम और अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है..... बस यही है जिंदगी!"*
हीरो को परखना है तो अंधेरो का इंतजार करो
धुप में तो कांच के टुकड़े भी चमकने लगते है
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हर एक साँस मुझे खींचती है उस की तरफ़
ये कौन मेरे लिए बे-क़रार रहता है
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इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते
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ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी
उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी
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