हिम्मत नहीं मुझमे की तुझे दुनिया से छीन लूं..
लेकिन मेरे दिल से तुझे कोई निकाले,
इतना हक तो मैंने खुद को भी नहीं दिया
मेरी हिम्मत देखना मेरी तबीयत देखना .....
जो सुलझ जाती है गुत्थी फिर से उलझाता हूँ मैं
मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ मगर.....
आज तक तेरे खतों से तेरी खुशबू नहीं गई
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