Sunday, 4 September 2016

Let the thought pass:

" Men needs to beleive and aspire towards something bigger then him, not because he is so small, but really because he is much greater then he knows himself to be ! "

यहाँ तो सिर्फ़  गूँगे और बहरे लोग  बसते हैं
ख़ुदा जाने यहाँ पर किसतरह जल्सा हुआ होगा!

आईने से उलझता है जब भी हमारा अक्स
हट जाते हैं बचाके नज़र दरमियाँ से हम

दरिया पार उतरने वाले ये भी जान नहीं पाए
किसे किनारे पर ले डूबा पार उतर जाने का ग़म

लौटा जो सज़ा काट के
बिना जुर्म की
घर आ के उसने सारे परिंदे
रिहा किये

नादानियों ने थोड़ी क़ीमत बढ़ा दी वर्ना;
सस्ते में बिक रहे थे हम भी ज़हीन बन कर.

ना नींद है आँखों में ना कोई हसरत
कितना सादा सा रह गया हूँ मैं तेरे बग़ैर...

The mind is like a river; upon its waters thoughts float through in a constant procession every conscious moment. You stand on a bridge over it and can stop and turn back any thought that comes along. The art of contentment is to let no thought pass that is going to disturb you.

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी

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