हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये..
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुरायी ना सुन सके
जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है ||
ज़िन्दगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है||
ये मज़ा है दुश्मनी में न है लुत्फ़ दोस्ती में ||
कोई ग़ैर ग़ैर होता कोई यार यार होता ||
फिर उसी शख़्स से उम्मीद ए वफ़ा?
ऐ दिल, तू अब पिटेगा मेरे हाथों..
आते लम्हों को ध्यान में रखिये,
तीर कुछ तो कमान में रखिये
"Tears on the linoleum floor;
Pain sewn into the staid armchair'
Cries in the hallway;
Happiness pushed into the corner'
of the dusty book shelf;
True emotions pulverized'
Words left unspoken."
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