जो मिले ...कोई ना कोई सबक दे गये !
हमसे मिलने वाले सब...उस्ताद ही निकले !!
आईना फैला रहा है "खुदफरेबी" का यह मर्ज़
हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नही...
दाग़ दुनिया ने दिए, ज़ख़्म ज़माने से मिले
हमको तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
मेरे बाद वफ़ा का धोखा और किसी से मत करना, गाली देगी दुनिया तुझको सर मेरा झुक जाएगा ||-क़तील शिफाई
राह-ए-वफ़ा पर चलने वाले
ये रस्ता वीरान बहुत है
गंदगी देखने वालों की नज़रों में होती है..
वरना कचरा चुनने वालों को तो..
उसमें भी रोटी नज़र आती है..
अकड़ तो सब में होती है..
पर झुकता वही है..
जिसे किसी की फ़िकर होती है..
आज फिर से, ज़िंदगी ने मेरा मुक़ाम पूछा ।
आज फिर से, रास्ते ही मेरे मंज़िल थे ।।
खूल सकती है गाँठे बस जरा सी जतन से..
पर लोग कैंचियाँ चला कर..
सारा फ़साना बदल देते हैं..
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