Thursday, 8 September 2016

कविता:

तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश न कर

सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,उसमे उलझने की कोशिश न कर

चलते वक़्त के साथ तू भी चल, उसमे सिमटने की कोशिश न कर

अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले, अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर

मन में चल रहे युद्ध को विराम दे, खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर

कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे, सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर

जो मिल गया उसी में खुश रह, जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर

रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा, मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर...

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