चाय का कप लेकर आप
खिड़की के पास बैठे हों
और बाहर के सुंदर नज़ारे का
आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं
.....अरे चीनी डालना तो भूल ही गये..;
और तभी फिर से किचन मेँ जाकर
चीनी डालने का आलस आ गया....
आज फीकी चाय को जैसे तैसे
पी गए,कप खाली कर दिया
तभी आपकी नज़र कप के तल
में पड़ी बिना घुली चीनी पर
पडती है..!!
मुख पर मुस्कुराहट लिए सोच में पड
गये...चम्मच होता तो मिला लेता
हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसा ही है...
सुख ही सुख बिखरा पड़ा है
हमारे आस पास...
लेकिन,
बिन घुली उस चीनी की तरह !!
थोड़ा सा ध्यान दें-
किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही
हक से रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का पानी
धीरे से पोंछना आना चाहिए !
रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा
मान अपमान ?
बस अपनों के दिल मे रहना
आना चाहिए...!
जितना हो सके....
"सरल" बनने की कोशिश करें...
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