Tuesday, 2 August 2016

सितम तो ये है:

सितम तो ये है कि वो भी न बन सका अपना
क़ुबूल हम ने किए जिस के ग़म ख़ुशी की तरह

आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा

तेरा  जाना तो  पहले से ही तय था l
मगर कुछ इस, तरहा सोचा न था ll

Our own existence is a sailing of life's incessant queries; hence this enables us to unfold the true character of our own being. This keeps each one's ship to sail with prudence and faith amidst all the whipping storms of life."

"जिंदगी ने दिए थे अँधेरे तो क्या,
तुम थे चाहते उजाले तो रुकते ज़रा, हम तो खुद जल पड़े रौशनी के लिए"

No comments:

Post a Comment

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...