Sunday, 21 August 2016

एक छोटी सी कहानी:


◆~एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था,
◆~एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी.
◆~उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा.
दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजा खोला,
◆~जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उसने पीने के लिए एक गिलास पानी माँगा.
◆~लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया.
"कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा."
पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव में कहा. "माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए.""
◆~तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देता हूँ. "
◆~जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकी थी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था.
◆~सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी.
लोकल डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया.
◆~विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी.
◆~वह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..
◆~उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी.
डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया.
◆~उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया. लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी,
◆~उसे मालूम था कि बीमारी से तो वह बच गयी है लेकिन बिल की रकम जरूर उसकी जान ले लेगी.
◆~फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी,
◆~जहाँ लिखा था, "एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुका है." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.
◆~ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालों पर आंसू टपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा, "हे भगवान! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ-कहाँ फैल
चुका है....
◆~अगर पसंद आये तो अपने दोस्तो को शेयर करना..
लाईक करना न भूलें

No comments:

Post a Comment

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...