सफ़र में मुश्किलें आएँ तो ज़ुर्रत और बढ़ती है
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है
मैं मरूँगा सुखी क्योंकि मैंने जीवन की धज्जियाँ उड़ाई हैं .......
ग़म की गर्मी से दिल पिघलते रहे तजुर्बे आँसुओं में ढलते रहे
ज़हर था ज़िंदगी के कूज़े में जानते थे मगर निगलते रहे
दर्द से 'आजिज़' न छुटकारा कभी पाऐंगें हम
साथ लाये हैं यह तोहफ़ा साथ ले जाएेंगें हम
दुख हुआ करता है कुछ
और बयाँ
बात कुछ और हुआ करती है
खुशियाँ पेश आई तक़ल्लुफ़ से मगर
ग़म बड़े हक़ से मेरे घर में रहा
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