जब किसी कार्य में रुचि और उसे करने के हुनर का संगम हो, तो उत्कृष्टता स्वाभाविक है।
मैं ने ये कब कहा कि मेरे हक में हो जवाब,
लेकिन ख़ामोश क्यूँ है तू कोई फैसला तो दे!
हौसला भरके नन्हे परों में उड़ जाते हैं परिंदे
गगन की सीमा कहां है ये कब सोचते हैं
कभी कभी कुछ लम्हें , चुराकर रख लेती है किस्मत , ज़िंदगी से
फिर लौटाती है उन्हें सूद समेत , वक्त आने पर , ख़ुशियों की सूरत में
No comments:
Post a Comment