तू खूबियाँ मुझ में तलाश ना कर... तू भी शामिल है मेरी कमियों में
हमें तो नहीं, पर उसे जरुर हमारी वाह-वाही की दरकार है
बस, इत्ता-सा फर्क है , आम और ख़ास में !
चरागों को ही हिफाज़त की ज़रुरत होती है,
सुरज को भला क्या सायबान धरना?? हमारी आँखे चुँधियाँ जाती है...
हमें तो नहीं, पर उसे जरुर हमारी वाह-वाही की दरकार है
बस, इत्ता-सा फर्क है , आम और ख़ास में !
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