Tuesday, 26 April 2016

इतना फर्क है आम और खास में:

तू खूबियाँ मुझ में तलाश ना कर... तू भी शामिल है मेरी कमियों में

हमें तो नहीं, पर उसे जरुर हमारी वाह-वाही की दरकार है
बस, इत्ता-सा फर्क है , आम और ख़ास में !

चरागों को ही हिफाज़त की ज़रुरत होती है,
सुरज को भला क्या सायबान धरना?? हमारी आँखे चुँधियाँ जाती है...

हमें तो नहीं, पर उसे जरुर हमारी वाह-वाही की दरकार है
बस, इत्ता-सा फर्क है , आम और ख़ास में !

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