इक अजब चीज़ है शराफ़त भी
इस में शर भी है और आफ़त भी
साँसों का टूट जाना तो आम सी बात है 'फराज़',
जहां अपने जुदा हो जाए मौत उस को कहते है !
कड़ी से कड़ी जोङते जाओ तो जंजीर बन जाती है
मेहनत पे मेहनत करो तो तक़दीर बन जाती है
खुशियाँ उतनी ही अच्छी जितनी मुट्ठियों मे समा जाए छलकती
बिखरती खुशियो को अक्सर नजर लग जाया करती है
आपके पास जो आटा है आप उसी की रोटी बना सकते हैं।
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