लाश को हाथ लगाता है तो नहाता हैं
बेजुबान जीव को मार के खाता हैं
मंदिर-मस्ज़िद भी गजब की जगह है
जहां गरीब बाहर और अमीर अंदर "भीख" मांगता है
वजूद अपना है और आप तय करेंगे हम
कहाँ पे होना है हम को कहाँ नहीं होना
नहीँ जानना बुरा है लेकिन जानने की इच्छा न होना और भी बुरा है।
No comments:
Post a Comment