Tuesday, 12 April 2016

एक कतरा:

एक क़तरा मलाल भी बोया नहीं गया
वो ख़ौफ था कि लोगों से रोया नहीं गया

ये सच है कि तेरी भी नीदें उजड़ गईं
तुझ से बिछड़ के हम से भी सोया नहीं गया

दामन है ख़ुश्क,आँख भी चुपचाप है बहुत
लड़ियों में आँसूओं को पिरोया नहीं गया

अलफ़ाज तलख़ बात का, अंदाज सर्द है
पिछला मलाल आज भी गोया नहीं गया

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