Thursday, 26 April 2018

Ye dhuan sa :

देख तो दिल कि जाँ से उठता है

ये धुआँ सा कहाँ से उठता है....
🌹🍃🌹
ये मोजज़ा भी किसी की दुआ का लगता है

ये शहर अब भी उसी बे-वफ़ा का लगता है
🍃🌹🍃
Mozaza : Miracle
               : Azuba
इरादा हो अटल तो, मोजज़ा ऐसा भी होता है

दिए को ज़िंदा रखती है हवा ऐसा भी होता है
🍃🌹🍃
ये  जो खुश्बू  है हवाओं में, पता है क्यूँ है
जिद है कितनों की यहाँ फूल उगाते रहना

जो जुर्म करते हैं इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न दे के अदालत बिगाड़ देती है 
🍃🌹🍃
दिन तो ताज़ा ले गई, पर रात बासी दे गई

शाम आख़िर क्यूँ मुझे इतनी उदासी दे गई
🍃🌹🍃
ये एक बात समझने में रात हो गई है

मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
🌹🍃🌹
साथ किसी के रह कर जो तन्हा कटता है

तुम ऐसे लम्हे के दुख से ना-वाक़िफ़ हो
🍃🌹🍃
तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्।
सुखसग्नङेन बध्नाति ज्ञानसग्ङेन चानघ॥

हे निष्पाप, तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार रहित है, वह सुख के संबंध से और ज्ञान के संबंध से अर्थात् उसके अभिमान से बाँधता है।
To make a difference in someone’s life, you don’t have to be brilliant, rich, beautiful or perfect. You just have to care.
🌹🍃🌹
लम्हा लम्हा तजरबा होने लगा

मैं भी अंदर से नया होने लगा
🍃🌹🍃
देखी थी दरार आज आईने में,

पता नही आइना टूटा था या मैं...
🌹🍃🌹

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