Tuesday, 17 April 2018

Umeed:


      एक घर मे पांच दिए जल रहे थे , एक दिन पहले दिए ने कहा -  'इतना जलकर भी मेरी रोशनी की लोगो को कोई कदर नही है तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं ' और वह दीया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया । जानते है वह दिया कौन था ?  वह दीया था उत्साह का प्रतीक ।
       यह देख दूसरा दीया जो शांति का प्रतीक था , कहने लगा , मुझे भी बुझ जाना चाहिए...  निरंतर शांति की रोशनी देने के बावजूद भी लोग हिंसा कर रहे है और शांति का दीया बुझ गया ।
        उत्साह और शांति के दीये बुझने के बाद , जो तीसरा दीया हिम्मत का था , वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया । उत्साह , शांति और अब हिम्मत के न रहने पर चौथे दीए ने बुझना ही उचित समझा । चौथा दीया समृद्धि का प्रतीक था । सभी दीए बुझने के बाद केवल पांचवां दीया अकेला ही जल रहा था । हालांकि पांचवां दीया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह निरंतर जल रहा था । तब उस घर मे एक लड़के ने प्रवेश किया । उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ एक ही दीया जल रहा है , वह खुशी से झूम उठा ... चार दीए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ , यह सोचकर कि कम से कम एक दीया तो जल रहा है । उसने तुरंत पांचवां दीया उठाया और बाकी के चार दीए फिर से जला दिए । जानते है वह पांचवां अनोखा दीया कौन सा था ?  वह था उम्मीद का दीया ..
         इसलिए अपने घर मे अपने मन मे हमेशा उम्मीद का दीया जलाए रखिये । चाहे सब दीए बुझ जाए लेकिन उम्मीद का दीया नही बुझना चाहिए । ये एक ही दीया काफी है बाकी सब दीयों को जलाने के लिए .... क्योंकि हमारे आज में जो उम्मीद जगती है वही उम्मीद हमारे भविष्य का निर्माण करती है ।
    " उम्मीद वक़्त का बहुत बड़ा सहारा है "
    "है उम्मीद तो हर लहर किनारा है

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