पूछने से पहले ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियां
कुछ आँखें इतनी हाजिर जवाब होती हैं।
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तेरी ख़ुशबू का पता करती है,
मुझ पे एहसान हवा करती है
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थोड़ी थोड़ी गुफ़्तगू दोस्तों से करते रहिये....
जाले लग जाते है अक्सर बंध मकlनो में....
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इक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही
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बहुत अंदर तक बसा था वोह शख़्स मेरे में,
उसे भूलने के लिए बड़ा वक़्त चाहिए।
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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ
तेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ
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क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं
वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं
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डाला है बेख़ुदी ने अजब राह पर मुझे,
आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे
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अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का
उसे बहाना मिला मुझ से बात करने का
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यक़ीन किस पे करें किस को दोस्त ठहराएँ,
हर आस्तीन में पोशीदा कोई ख़ंजर है...
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"Patience is, when you're supposed to be mad, but you choose to understand."
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