Saturday, 21 April 2018

Pahali:

पूछने से पहले ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियां

कुछ आँखें इतनी हाजिर जवाब होती हैं।
🍃🌹🍃
तेरी ख़ुशबू का पता करती है,

मुझ पे एहसान हवा करती है
🍃🌹🍃
थोड़ी थोड़ी गुफ़्तगू दोस्तों से करते रहिये....

जाले लग जाते है अक्सर बंध मकlनो में....
🍃🌹🍃
इक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर

फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही
🍃🌹🍃
बहुत अंदर तक बसा था वोह शख़्स मेरे में,

उसे भूलने के लिए बड़ा वक़्त चाहिए।
🍃🌹🍃
कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ

तेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ
🍃🌹🍃
क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं

वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं
🍃🌹🍃
डाला है बेख़ुदी ने अजब राह पर मुझे,

आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे
🍃🌹🍃
अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का

उसे बहाना मिला मुझ से बात करने का
🍃🌹🍃
यक़ीन किस पे करें किस को दोस्त ठहराएँ,

हर आस्तीन में पोशीदा कोई ख़ंजर है...
🍃🌹🍃
"Patience is, when you're supposed to be mad, but you choose to understand."
🌹🍃🌹

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