Saturday, 21 April 2018

Body:

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा मैं

सज्दे में नहीं था आप को धोका हुआ होगा

~दुष्यंत कुमार
साथ भी छोड़ा तो कब, जब सब बुरे दिन कट गए

ज़िंदगी तू ने कहाँ आ कर दिया धोका मुझे
🍃🌹🍃
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ

ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
🍃🌹🍃
सफ़र में जब निकल आये हो तो इतनी शिकायत क्यों

सड़क थोड़ी-बहुत  तो  बीच  में  तिरछी  निकलती है
🍃🌹🍃
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगर

सर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े..
🍃🌹🍃
दस्तार-turban

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल

कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
🍃🌹🍃
इस दौर में इंसान भी, ढूँढे नहीं मिलता...

इक तुम हो, मेरे यार- खुदा ढूँढ रहे हो...!
🍃🌹🍃
आज फिर उनसे मुलाक़ात हुई,

आज फिर खुदा से इक और शिकायत हुई...

🍃🌹🍃

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