मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग,
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता
मुँह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन,
आवाज़ों के बाज़ार में
ख़ामोशी पहचाने कौन।
उस तरफ़ वो जो नज़र पड़ता है
रास्ते में मिरा घर पड़ता है
आप तो मश्क़ किया करते हैं
और हर तीर इधर पड़ता है
उसी मक़ाम पे कल मुझ को देख कर तन्हा
बहुत उदास हुए फूल बेचने वाले
फरेबी हम तेरी बातों के फन से खूब वाकिफ हैं
कसम खा के जो कहता है वही झूठी निकलती है
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
अब वो तितली है न वो उम्र तआ'क़ुब वाली
मैं न कहता था बहुत दूर न जाना मेरे दोस्त
शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था
अब भी सूने मन-आँगन में याद के पंछी उड़ते हैं
अब भी शामें सजती हैं याँ अब भी मेला लगता है
लगता है कई रातों का जागा था मुसव्विर
तस्वीर की आँखों से थकन झाँक रही है
हम अक्सर खेल में हारे हैं उससे इस तरह भी
वहीं पर ढूंढते थे, वो जहाँ होता नहीं था
क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैं ने किया
उम्र-भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैं ने किया
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