ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा
वक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा
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वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा
किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा
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सँभल तो जाते , राह की दुशवारियों से
दिल के पचड़ों ने मगर , सँभलने ना दिया
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तुझे बेहतर बनाने की कोशिश में
तुझे ही वक़्त नहीं दे पा रहे हम,
माफ़ करना ऐ ज़िंदगी
तुझे ही नहीं जी पा रहे हम।
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खिड़कियाँ खोल लूँ हर शाम यूँही सोचों की
फिर उसी राह से यादों को गुज़रता देखूँ
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शहर-ए-दिल के हर रस्ते पर दीप जलाए बैठा हूँ
उन की यादों का ये लश्कर मेरे घर पर उतरेगा
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उजाला दे चराग़-ए-रह-गुज़र आसाँ नहीं होता
हमेशा हो सितारा हम-सफ़र आसाँ नहीं होता
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैं
सहर की राह तकना ता-सहर आसाँ नहीं होता
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नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे
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बादशाह थे हम अपने
मिज़ाज़ के,
कमबख्त इश्क ने तेरे दीदार
का फ़कीर बना दिया...
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उनकी तस्वीर टांगने के लिए
रोज़ दिवार देखते हैं हम
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कल शायद फिर सितारों से लड़ा था,
नशे में धुत्त चाँद, समंदर में पड़ा था..!!
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