जैसे तुझे आते हैं न आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ
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मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
ऐसा मरने का माहौल बनाया हम ने..
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अब तो मुमकिन है किस्मत का सितारा चमके
मैंने कुंचल दिए है अपने ख़्वाबों के चाँद
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समय गूंगा नहीं, बस मौन है....
वक्त पर बताता है, किसका कौन है....
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सच की हालत किसी तवायफ़ जैसी है,
तलबगर बहुत हैं तरफ़दर कोई नहीं…
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बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
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अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए,
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
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एक मैं ने ही उगाए नहीं ख़्वाबों के गुलाब
तू भी इस जुर्म में शामिल है मेरा साथ न छोड़
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जिन से मिल कर ज़िंदगी से इश्क़ हो जाए वो लोग
आप ने शायद न देखे हों मगर ऐसे भी हैं
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रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है
हम ने सच्चाई की हर बार हिमायत की है
हम को इस भूल का ख़म्याज़ा तो भरना होगा
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मैं अहल* तो नहीं हूँ कि देखे कोई मगर
दुनिया मुझे भी देख तेरा आइना हूँ मैं
*योग्य
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हम भी तारीफ़ कर ही देते उड़ानों की तेरी,
ज़मीं पे तुमको मगर पांव भी तो रखने हों।
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