Tuesday, 11 June 2019

हम दोनों धोखा खा गए


हम दोनों धोखा खा गए
मैंने तुम्हें औरो से अलग समझा
और तुमने मुझे औरो जैसा समझ
चाहे  कितना  भी
बदल  जाए  ज़माने  का  चलन
हमने  कभी  झूठ  से
सच्चाई  को  हारते  नहीं  देखा
हम को हमारी नींद भी पूरी.....नहीं मिली
लोगों को उन के ख़्वाब जगा कर दिये गये
आईने बेचता था, तो आता ना था कोई,
रखने लगा मुखौटे, तो फुर्सत नहीं रही.
अजीब कश्मकश है ज़िंदगी में..!!
मंज़िल की तलाश में.......सफ़र से इश्क़ हो गया..!!

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