“मुद्दतो बाद आज फिर
परेशान हुआ है ये दिल,
न जाने किस हाल में होगा
मुझे भूलने वाला.”
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा,
परिंदा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाए...
मुझ से कहता है कि साए की तरह साथ हैं हम
यूँ न मिलने का निकाला है, बहाना कैसा
बंद कर दिए हैं, हमने तो... दरवाजे इश्क के,
कमबख़्त तेरी यादें तो दरारों से ही चली आती है।
ज़माने को नहीं जिसकी ज़रूरत,
मैं शायद वो ज़रूरी आदमी हूँ
मसरूफ़ हैं यहाँ लोग
दूसरों की कहानियाँ जानने में
इतनी शिद्दत से ख़ुद को
अगर पढ़ते, तो ख़ुद़ा हो जाते..
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