दूसरे लोग बताते थे कि मैं कैसा हूँ
अपने बारे ही में बहकाया हुआ रहता था मैं...
सवाल ये नहीं रफ़्तार किसकी कितनी है
सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है
होने वाले 'खुद' ही 'अपने' हो जाते हैं,
किसी को 'कह कर'
'अपना' बनाया नहीं जाता''
'अपना' बनाया नहीं जाता''
लिखने वाले ने तमाम उम्र झोंक दी मुझमें
पढ़ने वालों ने मुझे सरसरी नज़र से पढा़
जैसा हूँ वैसा रहने को
ख़ुद से भी लड़ना पड़ता है ...
ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
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