Thursday, 6 December 2018

लिखने की आदत:

[11/18, 1:46 PM] Bansi Lal: लिखने  की  आदत  तबसे  हो  गयी,

जब  तूने  पूछा  था  कितना  प्यार  करती  हो??
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[11/18, 1:50 PM] Bansi Lal: ये कार-ए-ज़िंदगी था तो करना पड़ा मुझे

ख़ुद को समेटने में बिखरना पड़ा मुझे
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[11/18, 1:52 PM] Bansi Lal: सुन लेता हूँ अपनी ही बुराई यह सोच कर

कि आखिर वह भी है तो मेरी ही
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[11/18, 1:53 PM] Bansi Lal: कुछ फ़ासले ऐसे भी होते हैं जनाब..

जो तय नहीं होते...
मगर नज़दीकियां कमाल की रखते हैं,
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[11/18, 1:54 PM] Bansi Lal: चमन में रखते हैं काँटे भी इक मक़ाम ऐ दोस्त

फ़क़त गुलों से ही गुलशन की आबरू तो नहीं
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[11/18, 7:10 PM] Bansi Lal: चेहरे की चमक और
घर की ऊंचाईयों पर
मत जाना ...

घर के बुजुर्ग, अगर मुस्कुराते मिलें,
तो समझ लेना कि,
आशियाना अमीरों का है ...!
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[11/18, 7:12 PM] Bansi Lal: पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी

लड़खड़ाना भी ज़रूरी है सँभलने के लिए
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[11/18, 7:19 PM] Bansi Lal: समझना हो हमें तो अंदर तक झाँकना कभी....

वरना घर के बाहर तो हमने भी फूलो के बागान सजा रखे हैं...
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