Sunday, 18 November 2018

जोड़ जोड़ कर दुनियां:


सुना रही है जिसे जोड़ जोड़ कर दुनिया
तमाम टुकड़े हैं वो मेरी दास्तान के ही
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हमे पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो
हमारा शहर तो बस रास्ते में पड़ता है
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व्यक्तित्व में सादगी और आम लोगों से जुड़ाव
कभी व्यक्ति को नीचे नहीं गिरने देते......!!!!
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ख़ुद मंझधार में होकर भी जो औरों का साहिल होता है,
इसीलिए
जिम्मेदारी उसी को मिलती है जो निभाने के क़ाबिल होता है..

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समय गूंगा नहीं, बस मौन है,
वक्त पर बताता है, किसका कौन है!
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आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे।
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खटखटाते रहिए दरवाजा एक दूसरे के मन का....
मुलाकातें ना सही, आहटें आती रहनी चाहिए....
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*दिल कह रहा है, किसी को परेशान करूं..*
*लेकिन ये पता नहीं चल रहा है कि शांति से जी कौन रहा है*
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हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी,
लकीरों को मिटाना चाहा था किसी को पाने की ख़ातिर।
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