🙏माँ का तोहफा🙏
एक दंपत्ती दिवाली की खरीदारी करने को हड़बड़ी में था! पति ने पत्नी से कहा- जल्दी करो मेरे पास" टाईम" नहीं है... कह कर रूम से बाहर निकल गया , तभी बाहर लॉन मे बैठी "माँ" पर नजर पड़ी.
कुछ सोचते हुए वापिस रूम में आया।....शालू तुमने माँ से भी पूछा कि उनको दिवाली पर क्या चाहिए....
शालिनी बोली नहीं पूछी। अब उनको इस उम्र मे क्या चाहिए होगी यार, दो वक्त की रोटी और दो जोड़ी कपड़े इसमे पूछने वाली क्या बात है.....
वो बात नहीं है शालू... "माँ पहली बार दिवाली पर हमारे घर में रुकी हुई है" वरना तो हर बार गाँव में ही रहती है तो... औपचारिकता के लिए ही पूछ लेती.........
अरे इतना ही माँ पर प्यार उमड़ रहा है तो खुद क्यूँ नही पूछ लेते झल्लाकर चीखी थी शालू, और कंधे पर हेंड बैग लटकाते हुए तेजी से बाहर निकल गयी......
सूरज माँ के पास जाकर बोला माँ हम लोग दिवाली के खरीदारी के लिए बाजार जा रहे हैं आपको कुछ चाहिए तो..
माँ बीच में ही बोल पड़ी मुझे कुछ नही चाहिए बेटा....
सोच लो माँ अगर कुछ चाहिये तो बता दीजिए.....
सूरज के बहुत जोर देने पर माँ बोली ठीक है तुम रुको मै लिख कर देती हूँ, तुम्हें और बहू को बहुत खरीदारी करनी है कहीं भूल ना जाओ कहकर, सूरज की माँ अपने कमरे में चली गई, कुछ देर बाद बाहर आई और लिस्ट सूरज को थमा दी।......
सूरज ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, देखा शालू माँ को भी कुछ चाहिए था पर बोल नही रही थी मेरे जिद्द करने पर लिस्ट बना कर दी है, "इंसान जब तक जिंदा रहता है, रोटी और कपड़े के अलावा भी बहुत कुछ चाहिये होता है".
अच्छा बाबा ठीक है पर पहले मैं अपनी जरूरत की सारी सामान लूँगी बाद में आप अपनी माँ का लिस्ट देखते रहना कह कर कार से बाहर निकल गयी....
पूरी खरीदारी करने के बाद शालिनी बोली अब मैं बहुत थक गयी हूँ, मैं कार में A/C चालू करके बैठती हूँ आप माँ जी का सामान देख लो,
अरे शालू तुम भी रुको फिर साथ चलते हैं मुझे भी जल्दी है,.....
देखता हूँ माँ इस दिवाली क्या मंगायी है... कहकर माँ की लिखी पर्ची जेब से निकलता है, बाप रे इतनी लंबी लिस्ट पता नही क्या क्या मंगायी होगी जरूर अपने गाँव वाले छोटे बेटे के परिवार के लिए बहुत सारे सामान मंगायी होगी,.......
और बनो "श्रवण कुमार" कहते हुए गुस्से से सुरज की ओर देखने लगी, पर ये क्या सूरज की आंखों में आंसू........ और लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह हिल रहा था..... पूरा शरीर काँप रहा था,
शालिनी बहुत घबरा गयी क्या हुआ येसा क्या मांग ली है तुम्हारी माँ ने कह कर सूरज की हाथ से पर्ची झपट ली....
हैरान थी शालिनी भी इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....
पर्ची में लिखा था....
"बेटा सूरज मुझे दिवाली पर तो क्या किसी भी अवसर पर कुछ नहीं चाहिए फिर भी तुम जिद्द कर रहे हो तो, और तुम्हारे "शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो फुर्सत के कुछ " पल " मेरे लिए लेते आना.... ढलती साँझ हुई अब मैं, सूरज मुझे गहराते अँधियारे से डर लगने लगा है, बहुत डर लगता है पल पल मेरी तरफ बढ़ रही मौत को देखकर....जानती हूँ टाला नही जा सकता शाश्वत सत्य है,...... पर अकेले पन से बहुत घबराहट होती है सूरज ...... तो जब तक तुम्हारे घर पर हूँ कुछ पल बैठा कर मेरे पास कुछ देर के लिए ही सही बाँट लिया कर मेरा बुढ़ापा का अकेलापन.... बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की साँझ....कितने साल हो गए बेटा तूझे स्पर्श नही की एक फिर से आ मेरी गोद में सर रख और मै ममता भरी हथेली से सहलाऊँ तेरे सर को एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को करीब बहुत करीब पा कर....और मुस्कुरा कर मिलूं मौत के गले क्या पता अगले दिवाली तक रहूँ ना रहूँ.....
पर्ची की आख़री लाइन पढ़ते पढ़ते शालिनी फफक, फफक कर रो पड़ी.....
ऐसी ही होती है माँ.....
दोस्तों अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते है वो आपके जीवन के कल्पतरु है! उनका यथोचित सममान और आदर और सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें,
ओर ऐसी बहुओ को ये ध्यान भी रखना चाइये की वह भी एक माँ की बेटी है उसकी माँ तो माँ पति की माँ बोझ
उसकी माँ का हार्ट ब्लॉकेज तो हार्ट ब्लॉकेज है लेकिन पति की माँ का हार्ट ब्लॉकेज हुआ हो तो सब चलता है
यकीन मानिएइसमें कोई शक नही आपके अच्छे-बुरे कृत्य देर-सवेर आप ही के पास लौट कर आने हैं!
कुछ सोचे नारी शक्ति की हम कहाँ जा रही है
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