Monday, 24 December 2018

मग़रूर:

[12/21, 10:03 AM] Bansi Lal: मगरूर जितने पेड़ थे, हैरत में पड़ गए,
वो आंधियां चलीं के जड़ों से उखड़ गए.....
🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
[12/21, 10:05 AM] Bansi Lal: 🥀🌾🥀🌾🥀🌾🥀

ज़िंदगी बस खुशियों भरी हो
दुख सुख तो लगे ही रहते हैं
[12/21, 10:06 AM] Bansi Lal: प्यार की जोत से घर घर है चराग़ाँ
वर्ना एक भी शमा न रौशन हो हवा के डर से
🥀🌾🥀🌾🥀🌾
[12/21, 5:04 PM] Bansi Lal: ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था

क़ाइल ही तेरी बात का अंदर से नहीं था
[12/21, 6:57 PM] Bansi Lal: हर एक लम्बी दौड़ या फिर ऊँची छलाँग से पहलें दो क़दम पीछे हटना पड़ता हैं।

🌾🥀🌾🥀🌾🌾
[12/21, 7:00 PM] Bansi Lal: हथेली पर रखकर नसीब,
‘तु क्यों अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है..’

सीख उस समन्दर से,
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है..
[12/21, 7:02 PM] Bansi Lal: तनहाइयों से इस क़दर मोहब्बत हो गयी हमें कि,

अपना साया भी साथ हो तो भीड़ सी लगती है...
[12/21, 7:04 PM] Bansi Lal: तुम्हारी यादों को लफ़्ज़ों से महज़ छू लेते हैं हम,

कागज़ पर शायरी तो खुद-ब-खुद उतर आती हैं
[12/21, 7:07 PM] Bansi Lal: एक परिंदे का दर्द भरा फ़साना था
टूटे हुए थे पंख और उड़ते हुए जाना था

तूफान तो झेल गया पर हुआ एक अफसोस
वही डाल टूटी जिस पर उसका आशियाना था

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