Thursday, 6 December 2018

पता नहीं था:

[11/26, 7:37 AM] Bansi Lal: पता नहीं था किस शहर में हो तुम आबाद,

तुम्हारा नाम लिखा और खत रवाना किया
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[11/26, 7:37 AM] Bansi Lal: इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए

जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए
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[11/26, 7:38 AM] Bansi Lal: दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था

ताले की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था
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[11/26, 7:40 AM] Bansi Lal: जा के *कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो,

खस्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते...
*पहाड़
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[11/26, 6:06 PM] Bansi Lal: *"समझ नही आता जिंदगी.......तेरा फैसला"...!!!!*

*"एक तरफ तू कहती है"*
*"सबर का फल मिठा होता है"...*

*"और दूसरी तरफ कहती है"*
*"वक्त किसी का इंतजार नही करता"*
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[11/26, 6:13 PM] Bansi Lal: तुमसे नहीं मिलने का इरादा तो है लेकिन

तुमसे न मिलेंगे ये क़सम भी नहीं खाते
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