कही नही सकून वो जो तेरे दीदार मे है
हवा मे कहाँ ताजगी जो तेरे रूखसार पे है
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अपनी वाणी का अफसोस आपको अनेक बार हुआ होगा,
परन्तु अपने मौन का कभी नहीं.
परन्तु अपने मौन का कभी नहीं.
किसी भी रिश्ते को कितनी भी खूबसूरती से क्यों ना बांधा जाए ।
अगर नज़रों में इज्जत और बोलने में लिहाज न हो तो वह टूट जाता है
तुम्हें ख़ुश देखकर ख़ुश हो गये हम
वरना बात कुछ एसी न थी !
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही
जीने के वास्ते न सहारे करो तलाश,
जब डूब ही रहे हो तो तिनके भी छोड़ दो
केवल अहंकार ही ऐसी दौड़ है,
जहाँ जीतने वाला हार जाता है....!!
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में
जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं
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