Wednesday, 13 March 2019

बात चाहे बेसलीका:

बात चाहे बे सिलिका हो कलीम
बात कहने का सिलिका चाहिए

आप को डुबोने के लिए दुनियाँ में ऐसे लोग भी बैठे होंगे..!!
जिनको तैरना ख़ुद आपने ही सिखाया होगा.!!

जिसकी परवाज़ का अंदाज़ जुदा होता है
वो परिंदा किसी पिंजरे में पड़ा होता है

"आरजू" होनी चाहिए किसी को याद करने की । "लम्हे" तो अपने आप मिल जाते है।।

परवाह का भी अपना एक दायरा होता है
जरूरत से ज्यादा करते है  तो लोग बन्दिश समझने लगते है..!

यूँ तो मुस्कान , रह नहीं गई लबों पर
पर हमें भी खींचना , बख़ूबी आता है

मचाया है शोर हमने अदाओं से बिजली गिराने का !!
ये निगाहें खून कर देगी कभी किसी दीवाने का !!

Success is to do things without “I know everything” standing between you and doing. It’s not knowledge that counts. Learning is what matters. Keep learning. Keep striving. Keep succeeding.

शब्दों में दर्द हम भी भर सकते हैं..
पर पढ़ने वालो को कही तुमसे नफरत न हो जाए...

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