Friday, 3 November 2017

Aaj ka vichar :

वो बख़्शे उजाले किसी सुब्ह को

कोई शाम रौशन सुहानी करे
💐🌺💐
सुनी हिकायत-ए-हस्ती तो दरमियाँ से सुनी

न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
🌺💐🌺
हज़ार बार ज़माना इधर से गुज़रा है

नई नई सी है कुछ तेरी रहगुज़र फिर भी
💐🌺💐
रिश्ता कुछ यूँ उनसे बढने लगा...

हम उन्हें लिखने लगे और वो हमें पढने लगा...

🌺💐🌺
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर हो छुपायें कैसे,

तेरी मर्ज़ी के मुताबिक ऩज़र आयें कैसे
💐🌺💐
वक्त के साथ गर न चल पाए,

भीड़ पीछे की, रौंद डालेगी..!

🌺💐🌺
जो हाथ बढ़ाकर भी “कोशिश” न मयस्सर हो

हाथों को वो फैलाकर हासिल नहीं हो सकता
💐🌺💐
गर कुछ भी ख़बर होती अंजाम-ए-गुलिस्ताँ की

हम अपने नशेमन को ख़ुद आग लगा देते
🌺💐🌺
बस यही सोचकर किसी से शिकवा ना किया मैंने...

कि अपनी जगह हर इंसान सही हुआ करता है...
💐🌺💐
घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है,

पहले यह तय हो कि इस घर को बचायें कैसे
🌺💐🌺
उम्र भर सीखते रहे लहरों से लड़ने का हुनर,

मालूम ना था कि कातिल तो किनारे पर हैं l

💐🌺💐

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