Wednesday, 22 November 2017

Suraj ko slam :

वो ही करते रहे चढ़ते हुए सूरज को सलाम

जो किसी ढलती हुई शाम से वाक़िफ़ नहीं थे
🌹💐🌹
लहरो पे एक दिन तेरी तस्वीर आएगी

काग़ज़ को हमने आज नदी में बहा दिया
💐🌹💐
सबक़ "ज़िंदगी" से बस इतना लिया

यूँ तो "साहिल" पर चले निरन्तर सदा , पर

"समन्दर" की "लहरों" संग समझौता किया

💐🌹💐
मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ,

कोई मासूम क्यों मेरे लिये बदनाम हो जाये...

🌹💐🌹
ख्वाब तो सब मीठे देखे थे,
ताज्जुब है,

आँखों का पानी खारा कैसे हो गया ?
🌹🌹bansi🌹🌹

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