Wednesday, 8 November 2017

Jindgi :

जिंदगी, दोस्तों से नापी जाती है,

तरक्की, दुश्मनों से...

💐🌺💐
तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत, हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना, न तुम ख़ाली, न हम ख़ाली
🐩🐩🐩

ख़ाक थी और हम जिस्मो जान कहते रहे,
चन्द ईंटो को हम ता'उम्र मकान कहते रहे,,
🌺💐🌺
उन से मिलते थे तो सब कहते थे क्यूँ मिलते हो

अब यही लोग न मिलने का सबब पूछते हैं
🌺💐🌺
यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है,

हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है
🌺💐🌺

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