Sunday, 26 November 2017

A Jindgi:

जी रहे है तेरी शर्तो के मुताबिक़ ए जिंदगी,

दौर आएगा कभी, हमारी फरमाइशो का भी...
🌹🌺🌹
कहते है हो जाता है संगत का असर....

पर काँटों को आज तक नहीं आया, महकने का सलीका... !!!!
🌺🌸🌺
खाली पन्ने और मुस्कुराता हुआ कवर....

कुछ यही कहानी है, जिन्दगी की किताब की....
🌹🌸🌹
कल की कल है कल जब आएगा तो समझा जाएगा

आज तो साक़ी ने दिल का बोझ हल्का कर दिया
🌸🌺🌸
जरा सा वक़्त लगता है कहीं से उठ के जाने में

मगर फिर लौटकर आने में कितनी देर लगती है
🌹🌺🌹
बच्चों को पैरों पर,खड़ा करना था,

पिता के घुटने,इसी में जवाब दे गये...!

🌸🌺🌸
लमहों में क़ैद कर दे जो सदियों की चाहतें,

हसरत रही के ऐसा कोई अपना तलबगार हो...
🌺🌹🌺
एक दो रोज़ का सदमा हो तो रो लें ‘फ़ाकिर’,

हम को हर रोज़ के सदमात ने रोने न दिया

🌸🌹🌸
झट से बदल दूं, इतनी न हैसियत न आदत है मेरी,

रिश्ते हों या लिबास, मैं बरसों चलाता हूँ...

🌹🌺🌹
"मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है, तभी तो

"मतलब" निकलते ही रिश्ते हल्के हो जाते है.।।
🌺🌸🌺

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