न जाने बादलो के दरमिया क्या साजिश हुई,
जिसका घर मिट्टी का था उसी के घर बारिश हुई !
🌺🌸🌺
ख़्वाहिश तो है मुझे भी कि मंज़िल मिले मगर
यूँ दूसरों की राह पे चलना नहीं पसंद
🌸🌹🌸
क्यों ग़रीब समझते हैं हमें ये जहाँ वाले फ़राज़ ,
हज़ारों दर्द की दौलत से मालामाल हैं हम.
🌺🌹🌺
No, you cannot stop the birds of sorrow from flying over your head, but you can stop them from building nests in your hair. - D.B. Patterson
न जाने कितने चराग़ों को मिल गई शोहरत
इक आफ़ताब के बे-वक़्त डूब जाने से
🌸🌺🌸
No comments:
Post a Comment