Monday, 20 November 2017

Fiza :

बहुत खामोश है फिज़ा, कोई कारवां गुजरा हैं,

अपनों के इन्त़जार मे ,कोई अपना गुजरा हैं।

🌹💐🌹
ख़्वाहिशें हैं घर से बाहर दूर जाने की बहुत

शौक़ लेकिन दिल में वापस लौट कर आने का था
🌹💐🌹
ख्वाहिशें आज भी “खत” लिखती हे मुझे....

बेखबर इस बात से कि, जिंदगी अब अपने “पते” पर नही रहती....
🌹💐🌹
यूँ तो दुनिया में जीने के बहाने हैं बहुत

रह रह के उन्हीं का ख़्याल आए तो कोईक्या करे
💐🌹💐
एहसासों के पांव नहीं होते फिर भी दिल तक पहुंच ही जाते हैं..
💐🌹💐

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