इंकार कर रहा हूँ तो क़ीमत बुलंद है
बिकने पे आ गया तो गिरा देंगे दाम लोग
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मैं एक ज़र्रा बुलंदी को छूने निकला था
हवा ने थम के ज़मीं पर गिरा दिया मुझ को
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ऐसा कहाँ कि शहर के मंज़र बदल गए,
मंज़र वही हैं सिर्फ़ सितमगर बदल गए...
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साहिल से सुना करते हैं लहरों की कहानी
ये ठहरे हुए लोग बग़ावत नहीं करते
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