Friday, 17 February 2017

जल है जिस्म जहां से दिल भी:

"जो कुछ भी इस विश्व को अघिक मानवीय और विवेकशील बनाता है उसे प्रगति कहते हैं; और केवल यही मापदंड हम इसके लिये अपना सकते हैं।"
💐🙏🏻💐
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा

कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है
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न जिस का नाम है कोई न जिस की शक्ल है कोई

इक ऐसी शय का क्यूँ हमें अज़ल से इंतिज़ार है
🙏🏻💐🙏🏻
वो लोग अपने आप में कितने अज़ीम थे

जो अपने दुश्मनों से भी नफ़रत न कर सके
💐🙏🏻💐
अपने गुनाहों पर सौ परदे डाल कर,

हर शख्स कहता है जमाना ख़राब है...
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दिल नाउम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है,

लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
🌹🙏🏻🌹

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