Monday, 13 February 2017

तन्हा ही नहीँ अधूरे हैं:

उस से मिलो तो सिर्फ इतना कह देना ..
की हम उसके बग़ैर 'तनहा' नहीं 'अधूरे' हैं

आस उस दर से टूटती ही नहीं
जा के देखा,   न... जा के देख लिया

नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सह
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !

वो बात सारे फ़साने में जिसका ज़िक्र न था....
वो बात उनको बहोत ना-गवार गुज़री है......

'जंग' लग न जाये मोहब्बत को कहीं ..
रूठने मनाने के सिलसिले जारी रखो

इश्क के और भी पहलू हैं हुस्न के और भी जलवे हैं ज़ुल्फ़ नज़र अदा ख़ामोशी इनसे निकलकर देखिये

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