Friday, 17 February 2017

पानी तो घोड़े को ही पीना है(ओशो):

😀  पुरानी कहावत है, कि आप घोड़े को जाकर पानी दिखा सकते हैं , पिला नहीं सकते l घोड़े को ले जाकर नदी के किनारे खड़ा कर सकते हैं l पिला के कैसे ? पानी तो घोड़े को ही पीना पड़ेगा l वही मैं कर सकता हूं घोड़े को नदी के किनारे खड़ा कर सकता हूं ; पिला नहीं सकता l

अब आप कहें कि घोड़े की तरह मैं खड़ा हूं इतने दिन से और प्यास मेरी अभी तक नहीं बुझी !

नदी बह रही है , घोड़ा खड़ा है l अब क्या करना है ? और करना किसको है ? वह जो घोड़े को नदी तक ले आया है , उसको कुछ करना है कि घोड़े को कुछ करना है ?

जन्मों तक खड़े रहें l नदी बहती रहेगी l नदी हर पल बह रही है l लेकिन थोड़ा झुकना पड़ेगा घोड़े को l थोड़ी गर्दन झुकाकर पानी तक मुंह को ले जाना पड़ेगा l

तो मैं जब बोल रहा हूं कुछ कह रहा हूं , तो नदी आपके पास बह रही है l आप बैठे रहें किनारे पर l कितने ही दिन तक बैठे रहें l नदी को देखने का मजा लेते रहें , नदी के बहने की ध्वनि आ रही है , उसका संगीत सुनते रहें l नदी पर सूरज की किरणें बिछी हैं , नदी सुंदर है , उसके सौंदर्य को देखते रहें l नदी के पास पक्षी उड़ रहे हैं , वृक्ष खड़े हैं , उनको देखते रहें l लेकिन प्यास न बुझेगी l

और नदी कुछ भी नहीं कर सकती आपकी प्यास बुझाने को l आप झुकें , चुल्ल से पानी भरें और पीए l और आपकी तैयारी हो , तो पीने की क्या बात है , नदी में डूब सकते हैं , नदी के साथ एक हो सकते हैं l लेकिन सिर्फ नदी की मौजूदगी से यह नहीं हो जाएगा ; आपको कुछ करना पड़ेगा............👏

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